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आखिर ऐसी कौन सी परिस्थिति उठ गई। किस साक्षात अश्वत्थामा को एक साधारण से इंसान के सामने आना पड़ा। उसकी मदद करनी पड़ी। नमस्कार दोस्तों आप सभी लोगों के सामने अश्वत्थामा से जुड़ी हुई उनके दर्शन से जुड़ी हुई उनको देखने की लेकर ऐसी अजीबोगरीब कहानी लेकर आ गया। सुनकर आप लोग विश्वास तो नहीं कर पाएंगे। लेकिन सच बताओ आप विश्वास करें या ना करें। सच्चाई तो बदलती नहीं है। अश्वत्थामा आज भी जीवित है और इसका प्रमाण कई बार इस दुनिया के सामने आ चुका है। बहुत सारे लोग यह दावा कर चुके हैं।
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राधेश्याम अश्वत्थामा को देखा है। अगर आप लोग महाभारत की नॉलेज रखते हैं तो बेशक आप लोगों को पता होगा कि किस प्रकार से भगवान श्री कृष्ण ने अश्वत्थामा को यह श्राप
दिए थे कि वह कलयुग के अंत होने तक अश्वत्थामा को जीवित रहना पड़ेगा। यह श्राप है जिसके बारे में काफी बार बता चुका हूं indian real story in hindi और आज एक ऐसी घटना की जानकारी आप लोग को देने जा रहा हूं जो राधेश्याम नाम के लड़के के साथ जुड़ी हुई है। राधेश्याम बहुत ही धार्मिक परिवार से था। राधेश्याम भगवानों के ऊपर काफी ज्यादा विश्वास उनके ऊपर आस्था बहुत ज्यादा थी। अपने बच्चों को उनके बच्चों को यही सीख देते आ रही थी कि हमेशा भगवान के भक्ति भाव में लीन रहना चाहिए। बाकी सारी चीजें मोह माया है।
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राधेश्याम बचपन से ही अपने पिताजी माताजी से महाभारत रामायण की कहानियां सुन सुन कर बड़ा हुआ था। महाभारत के बारे में सुनता था तो काफी ज्यादा हैरान होता था कि बताओ कितना बड़ा युद्ध हुआ होगा महाभारत का कि इतने सारे लोगों की मृत्यु हुई कितना बड़ा धर्म युद्ध रहा होगा। कैसे कैसे लोग लड़े होंगे। इसकी बचपन से कामना थी कि मैं अपनी आखिरी सांस लेते तक इस दुनिया में 12 ज्योतिर्लिंग दर्शन कर लो। बाबा भोलेनाथ का आशीर्वाद ले लो। इसने अब तक 3 ज्योतिर्लिंग घूम लिया। इसमें से एक रामेश्वरम दूसरा महाकालेश्वर और तीसरा केदारनाथ में जो महाकालेश्वर के दर्शन किए वहा राधेश्याम के साथ में कुछ अजीबोगरीब हुआ! राधेश्याम बचपन से ही महाभारत की कहानियां सुन सुनकर बड़े हुए थे तो अश्वत्थामा के बारे में इन्होंने सुने अश्वत्थामा के बारे में इनको पता था कि वह आज भी जीवित है और बुरहानपुर में मौजूद असीरगढ़ के किले में आज भी रोज विजिट करते हैं और मंदिर में मौजूद शिवलिंग की पूजा सबसे पहले करके चले जाते हुए हैं. राधेश्याम ने सोचा कि असीरगढ़ यहां से बहुत दूर नहीं होगा। देखता हूं बस पकड़ कर निकल जाता हूं। वहां पर दर्शन करके आ जाऊंगा।
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फाइनली रात के 3:00 बजे के आसपास यह बुरहानपुर ट्रेन पकड़कर पहुंच ही जाता है। लेकिन रात के 3:00 बजे समझ में नहीं आ रहा था कि यहां से जाऊं तो जाऊं कहां कहां की बस पकड़ो कहां की AUTO पकड़ो। इसे एक सोच के साथ ही बाहर निकलता तो बाहर तीन ऑटो वाले खड़े हुए थे। उसे जाकर पूछता है कि भाई मुझे असीरगढ़ के किले में जाना है तो अब छोड़ दोगे। क्या AUTO वाले बोलते हैं कि अभी बहुत रात का वक्त है। इतने बजे कोई साधन मिलेगा नहीं और जाने से कोई फायदा भी नहीं है। अंदर नहीं जा पाओगे। एक काम करो, स्टेशन में सो जाओ जैसे सुबह होगी। सुबह सुबह ही तुम निकल जाना। बाहर तुमको बस गाड़ी कुछ मिल जाएगा। स्टेशन के अंदर चले जाता है और वहीं पर स्टेशन में सो जाता है। गहरी नींद लग गई और सुबह कब हो गई कितने बजे कोई अंदाजा नहीं। फिर जो आरपीएफ वाला एक जवान होता है,
वह आकर उठाया कि भाई उठ जाओ, कहां जाना है, निकल जाओ। सुबह हो गई है। समय भी बहुत ज्यादा हो चुके घबरा के हरे हरे हरे रामा यूज़ किया। बैग में जो भी बाहर निकाला था अपना चादर सब अंदर डाला। बाहर निकला तो पता कर कर के बस स्टॉप के पास पहुंच गया। उस बस स्टॉप में बस भी लगी हुई थी। बुरहानपुर से अजीतगढ़ जाने वाली फिर भी कंडक्टर से पूछ ही लिया कि असीरगढ़ के किले तक की बस जाएगी। yes कंडक्टर ने बोला बैठो बैठो,
बस में बैठ गया। बस चलना शुरू हुई तो कंडक्टर के बाजू में ही बैठा हुआ था। कंडक्टर से बोल दिया कि यार मुझे उठा देना मैं क्या पहली बार जा रहा हूं ना यहां पर पहले कभी आया नहीं हूं तो किला वाला रास्ता लाएगा तो बस रुकवा देना मैं उतर जाऊंगा। कंडक्टर ठीक है, टेंशन मत लो, मैं तुम्हें सही जगह पर उतार दूंगा। फिर वहां से तुमको पैदल ही जाना होगा। बस चलने लगी राधेश्याम बाहर की वादियों का मजा लेते हुए आगे बढ़ने लगा। खूबसूरत जंगल था वादिया 3 डिफरेंट सा एकदम माहौल था। ऐसा कि इसने पहले कभी देखा नहीं था। बढ़िया फोटो खींचते हुए जा रहे अपने मोबाइल से थोड़ी देर बाद बस वहां पर पहुंच गई। बस स्टॉप आ गया बस कंडक्टर ने बोला उतर जाओ बस से राधेश्याम बस से उतर जाता है बस स्टॉप पर चाय की दुकान थी चाय वाले भैया से पूछता है असीरगढ़ किले तक कैसे जाऊं वहां तक जाने का रास्ता बताओ चाय वाले भैया ने बोला इस रास्ते से पैदल जाओ वहां से थोड़ा आगे जाकर किला आएगा! राधेश्याम उस रास्ते पर पैदल पैदल चलता हुआ असीरगढ़ किले तक पहुंच जाता है किले का दरवाजा बहुत बड़ा था!
किला भी बहुत बड़ा है। चौकीदार ने राधेश्याम को किले के अंदर जाने नहीं दिया किले का दरवाजा बंद था वहां कुछ काम चल रहा था इस वजह से चौकीदार बोला 2 दिन बाद आना 2 दिन बाद दरवाजा खुलेगा राधेश्याम मायूस हुए कि मैं अंदर जा क्यों नहीं पा रहा हूं। इतनी दूर से आया हूं नहीं जा पा रहा हूं। भोलेनाथ का बहुत बड़े भक्त भाई तो बुरा लग गया कि दर्शन तो कर नहीं थे। असीरगढ़ का किला देखे बिना वापस लौटना पड़ेगा। खैर कुछ देर खड़ा रहा और लोगों से पूछने की कोशिश किया,
लेकिन सब लोगों ने यही बोले जो लोग वहां पर काम कर रहे थे कि नहीं, भाई नहीं जा पाओगे। आज बंद है आज कोई नहीं जा पाएगा। अचानक से नजर पड़ी कि नीचे से एक आदमी चलकर आया।आदमी को देखकर राधेश्याम बोलता है। क्या हुआ भाई कहां से आ रहे हो। आप कौन हो तो सामने खड़ा हुआ आदमी कहता है यहीं पर काम करता हूं मेरा सामान को छूट गया था तो मैं लेने के लिए आया हुआ हूं। अंदर रखा हुआ मैं लेकर निकल जाऊंगा। राधेश्याम फिर बोलते हैं मतलब आप अंदर तक जाओगे तो उसने बोला कि ha राधेश्याम बोलता है कि यार मुझे थोड़ा सा दिखा सकते हो क्या अंदर ? देखने में बहुत दूर से आया हुआ हूं और मन में बहुत तेज श्रद्धा भक्ति से आया हुआ हूं। थोड़ा देखने दे दो ना आपकी बहुत मेहरबानी होगी तो सामने खड़ा हुआ आदमी बोलता है कि ठीक है। चलो चलो कोई बात नहीं। लेकिन हां जल्दी घूम लेना ज्यादा समय मत लगाना यह बोलता है। ठीक है चलो अब ऐसे करके जल्दी खुश होकर जाने लगते हो। रसोई कहां थी, बेडरूम कैसा था, सब कुछ देखते हैं। सैनिकों का जा खाना बनता था। यह कुछ देखें और घूमते घूमते अचानक से नजर पड़ी। उस मंदिर पर जो कि भोलेनाथ का मंदिर था जिसको देखने के लिए स्पेशल यहां पर आया हुआ था। राधेश्याम फिर मंदिर के अंदर जैसे एंटर किया तो क्या देखता कि शिवलिंग के सामने सफेद रंग के फूल चढ़े हुए हैं और दीपक जल रहा है। बड़ी हैरानी हुई कि यहां पर तो कोई है नहीं तो फिर पूजा करके कौन गया है, फिर उसने देखा कि साइड में ना एक लोटा रखा हुआ है, जिसका नजर गई थी। कुंड में किले के अंदर ही एक कुंड था तो उसने सोचा कि लोटे में जल लेकर आ जाता हूं। शिवलिंग के ऊपर थोड़ा चढ़ा दूंगा। आशीर्वाद ले लूंगा। राधेश्याम जैसे ही कुंड में गया उसकी नजर एक बहुत बुड्ढे आदमी पर गई जो उस कुंड में नहा रहा था उसके सिर पर खड़ा था ऐसा लग रहा था जैसे उसके सिर पर गोली मार दिया राधे श्याम सोचा अभी तो कोई नहीं था अचानक बुड्ढा आदमी कहां से आ गया छोड़ो मुझे क्या मैं तो पानी का लोटा भरता हूं राधेश्याम कुंड में पानी का लोटा डुबोता है और फिर बुड्ढे आदमी को देखा तो बुड्ढा आदमी गायब हो जाता है इधर-उधर देखता है लेकिन बुड्ढा आदमी नजर नहीं आता है राधेश्याम ने सोचा कि मुझे गलतफहमी हुई होगी वह जल का लोटा भरता है और मंदिर की तरफ आता है राधेश्याम की नजर जैसे ही मंदिर पर पड़ी डर की वजह से कांपने लग गया वह बुड्ढा आदमी शिवलिंग के सामने मंत्र जाप कर रहा था राधेश्याम ने सोचा जल का लोटा भर लिया तो अब शिवलिंग को जल चढ़ाई बिना वापस नहीं जा सकता काटते हुए पैरों से राधेश्याम शिवलिंग की तरफ बढ़ाओ उसने सोचा जल का रोटा बढ़ लिया तो शिवलिंग को जल चढ़कर ही जाऊंगा ऐसे खाली हाथ नहीं जा सकता.....
राधेश्याम धीरे-धीरे शिवलिंग की तरफ बड़ा कापते हुए हाथों से जल चढ़ाने लग गया अचानक उसके कानों में आवाज आई बेटा जल चढ़ाते समय ओम नमः शिवाय मंत्र जाप किया करो राधेश्याम का डर थोड़ा कम हुआ राधेश्याम ने उनसे पूछा बाबा आप कहां से आए हो और आपका नाम क्या है बुड्ढा आदमी हसते हुए कहा बेटा में 5160 साल से यही हूं मेरा नाम अश्वत्थामा है इसी शिवलिंग की में रोज सबसे पहले पूजा करता हूं जिनका Aura कमजोर होता है वह अपनी आंखों से मुझे देख नहीं सकता है जो मुझे देखा है वह डर जाता है तुम भी मुझसे डर गए लेकिन तुम्हारी एक बात से मैं बहुत खुश हूं जब तुमने लोटे में जल भर लिया शिवलिंग को जल चढ़ाएं बिना जाना ठीक नहीं समझा और डरते हुए भी जल चढ़ाते गए
मैं तुमसे खुश हू जो चाहे मांग लो सब दूंगा! राधेश्याम ने क्या मांगा होगा 5160 साल पुराने अश्वत्थामा से आगे की रियल स्टोरी नेक्स्ट पार्ट में बताऊंगा.....